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...ताक‍ि आसान हो जाएं मुंबई में आपकी राहें

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मुंबई
तपती धूप में सड़कों के किनारे अगर कोई व्यक्ति मोटरसाइकल पर बोरियों में ईंट-पत्थर भरकर सड़कों के किनारे हुए गड्ढों को पाटते हुए दिख जाए, तो समझ जाना कि वे मुश्ताक अंसारी और इरफान माचिसवाला हैं। दोनों माहिम के रहने वाले हैं और रोजाना यह काम करते हैं। दोनों माहिम, बांद्रा, अंधेरी या अन्य इलाके की सड़कों के गड्ढे पाटते हैं। दोनों समाजसेवी हैं और गड्ढा भरने के बाद ही वे कोई काम करते हैं।

दुर्घटना देखकर खयाल आया
मुश्ताक और इरफान बताते हैं, ‘माहिम और धारावी इलाके में सड़कों पर काफी गड्ढे हैं। इन्हें बीएमसी तो भरती नहीं हैं और न ही एमएमआरडीए सुध लेता है। दोपहिया वाहनों पर अक्सर महिलाएं होती हैं, वे भी गिरने की वजह से चोटिल हो जाती हैं। एक दिन न जाने क्या सूझा कि डंपर चालकों द्वारा फेंके गए मलबे से गड्ढों को पाटना शुरू कर दिया।’


जारी रहेगा स‍िलस‍िला

इरफान बताते हैं, ‘गड्ढे ढूंढकर उन्हें पाटना अब हमारा दैनिक कार्य हो गया है। सुबह उठकर हम लोग गड्ढा खोजते हैं और ईंट-पत्थरों से भर देते हैं। यह सिलसिला काफी दिनों से चल रहा है और आगे भी जारी रहेगा।’

प्रशासनिक उदासीनता
मुश्ताक और इरफान का कहना है, ‘गड्ढों में गिरने की वजह से वाहन चालक दिन की अपेक्षा रात में अधिक जख्मी होते हैं। इस बारे में उन्होंने बीएमसी और एमएमआरडीए को पत्र लिखकर इन्हें पाटने के बारे में निवेदन भी किया था, मगर बारिश से पहले कोई गड्ढा भरने आता ही नहीं है।’

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