अखिलेश पांडेय, मुंबई
रक्षा बंधन पर यूं तो कई उदाहरण है, लेकिन गुरुवार को इस मौके पर एक भाई अपनी ने अपनी बहन को किडनी का अनमोल तोहफा देकर इस रिश्ते की गरिमा को और भी बढ़ दिया है। एक ओर एक भाई द्वारा बहन को रक्षाबंधन के मौके पर मिला ये उपहार जितना खास है, वहीं दोनों का ब्लड ग्रुप अलग होने के बावजूद भी चिकित्सकों द्वारा इस ट्रांसप्लांट को सफलतापूर्वक किया जाना भी अपने आप में एक उपलब्धि है।
ट्रांसप्लांट प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण
ट्रांसप्लांट करने वाले ग्लोबल हॉस्पिटल के रेनल साइंस विभाग के निदेशक डॉक्टर भारत शाह ने कहा कि अलग ब्लड ग्रुप के लिए ट्रांसप्लांट प्रक्रिया काफी चुनौतीपूर्ण होती है। इस केस में भाई का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव, जबकि बहन का ओ पॉजिटिव था। ऐसे में इसे संभव करने के लिए हमें फेरेसिस प्लाज़्मा की सहायता लेनी पड़ी। इसके तहत प्राप्तकर्ता के ऐंटि बॉडी लेवल को कम करके इसे सफल बनाया गया।
उन्होंने कहा, 'जब ब्लड ग्रुप अलग हो तो ऐसे में ट्रांसप्लांट प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए प्लाज़्मा एक्सचेंज प्रक्रिया के तहत प्राप्तकर्ता के ऐंटि बॉडी लेवल को कम करके इसे संभव किया जाता है। प्रत्यारोपण के बाद भाई- बहन दोनों की स्थिति सामान्य है। जल्द ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।'
गौरतलब है कि अब तक ग्लोबल हॉस्पिटल में अलग ब्लड ग्रुप के 34 किडनी प्रत्यरोपण सफलतापूर्वक किया जा चुका है।
दोनों किडनी थीं खराब
हॉस्पिटल से मिली जानकरी के अनुसार, बहन की दोनों किडनी खराब हो गईं थीं, और उसे जल्द से जल्द किडनी की जरूरत थी। ऐसे में जब भाई को इस बारे में पता चला तो उसने तुरंत अपनी एक किडनी बहन को देने का फैसला कर लिया। भाई राहुल ने कहा कि हमारे परिवार में तीन पीढ़ी से लोग ऑर्गन ट्रांसप्लांट को लेकर लोगों में जागरूकता लाने का प्रयास करते आए हैं। ऐसे में बहन को किडनी की जरूरत पड़ने पर किसी और से इसके लिए कहने की बजाय मैंने अपनी किडनी देने का फैसला किया।
अब एक-एक किडनी
बहन को नई जिंदगी की सौगात देने के लिए भाई ने अपनी लेफ्ट किडनी उसे दे दी है। इसके बाद भाई बहन दोनों के पास एक- एक किडनी बची है।
बहन को किडनी देने के बाद राहुल (बदला हुआ नाम) कहते हैं, 'एक भाई होने के चलते ,जब मुझे पता चला कि मेरी बहन को किडनी की जरूरत है, तो मैंने तुरंत अपनी किडनी देने का फैसला कर लिया। हर भाई की जिम्मेदारी होती है मुश्किल घड़ी में बहन का साथ देना। मैंने भी वही किया।'
रक्षा बंधन पर यूं तो कई उदाहरण है, लेकिन गुरुवार को इस मौके पर एक भाई अपनी ने अपनी बहन को किडनी का अनमोल तोहफा देकर इस रिश्ते की गरिमा को और भी बढ़ दिया है। एक ओर एक भाई द्वारा बहन को रक्षाबंधन के मौके पर मिला ये उपहार जितना खास है, वहीं दोनों का ब्लड ग्रुप अलग होने के बावजूद भी चिकित्सकों द्वारा इस ट्रांसप्लांट को सफलतापूर्वक किया जाना भी अपने आप में एक उपलब्धि है।
ट्रांसप्लांट प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण
ट्रांसप्लांट करने वाले ग्लोबल हॉस्पिटल के रेनल साइंस विभाग के निदेशक डॉक्टर भारत शाह ने कहा कि अलग ब्लड ग्रुप के लिए ट्रांसप्लांट प्रक्रिया काफी चुनौतीपूर्ण होती है। इस केस में भाई का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव, जबकि बहन का ओ पॉजिटिव था। ऐसे में इसे संभव करने के लिए हमें फेरेसिस प्लाज़्मा की सहायता लेनी पड़ी। इसके तहत प्राप्तकर्ता के ऐंटि बॉडी लेवल को कम करके इसे सफल बनाया गया।
उन्होंने कहा, 'जब ब्लड ग्रुप अलग हो तो ऐसे में ट्रांसप्लांट प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए प्लाज़्मा एक्सचेंज प्रक्रिया के तहत प्राप्तकर्ता के ऐंटि बॉडी लेवल को कम करके इसे संभव किया जाता है। प्रत्यारोपण के बाद भाई- बहन दोनों की स्थिति सामान्य है। जल्द ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।'
गौरतलब है कि अब तक ग्लोबल हॉस्पिटल में अलग ब्लड ग्रुप के 34 किडनी प्रत्यरोपण सफलतापूर्वक किया जा चुका है।
दोनों किडनी थीं खराब
हॉस्पिटल से मिली जानकरी के अनुसार, बहन की दोनों किडनी खराब हो गईं थीं, और उसे जल्द से जल्द किडनी की जरूरत थी। ऐसे में जब भाई को इस बारे में पता चला तो उसने तुरंत अपनी एक किडनी बहन को देने का फैसला कर लिया। भाई राहुल ने कहा कि हमारे परिवार में तीन पीढ़ी से लोग ऑर्गन ट्रांसप्लांट को लेकर लोगों में जागरूकता लाने का प्रयास करते आए हैं। ऐसे में बहन को किडनी की जरूरत पड़ने पर किसी और से इसके लिए कहने की बजाय मैंने अपनी किडनी देने का फैसला किया।
अब एक-एक किडनी
बहन को नई जिंदगी की सौगात देने के लिए भाई ने अपनी लेफ्ट किडनी उसे दे दी है। इसके बाद भाई बहन दोनों के पास एक- एक किडनी बची है।
बहन को किडनी देने के बाद राहुल (बदला हुआ नाम) कहते हैं, 'एक भाई होने के चलते ,जब मुझे पता चला कि मेरी बहन को किडनी की जरूरत है, तो मैंने तुरंत अपनी किडनी देने का फैसला कर लिया। हर भाई की जिम्मेदारी होती है मुश्किल घड़ी में बहन का साथ देना। मैंने भी वही किया।'
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