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महिलाओं की रक्षा करती हैं 'बंदूकवाली आंटी'

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कंवरदीप सिंह, शाहजहांपुर
शाहना बेगम को लोग 'बंदूकवाली आंटी' के नाम से जानते हैं। शाहजहांपुर के सिंधौली प्रखंड स्थित महानंदपुर और आसपास के गांवों में रहने वाली लड़कियों के लिए तो शाहना मां जैसी हैं। वहीं ऐसे लोग जो कि लड़कियों और महिलाओं के साथ छेड़खानी करते हैं, उनके लिए तो शाहना का नाम ही खौफ पैदा करने के लिए काफी है। शाहना ने यहां वह कर दिखाया है, जो पुलिस भी नहीं कर सकी। पिछले लंबे समय से महानंदपुर गांव में महिलाओं के साथ छेड़खानी या फिर शारीरिक उत्पीड़न की कोई वारदात नहीं हुई है।

स्थानीय लोग बताते हैं कि शाहना के होने का ही असर है कि इलाके की लड़कियां खुद को पूरी तरह सुरक्षित महसूस करती हैं। शाहना की उम्र 42 साल है और उनकी खुद की 2 बेटियां भी हैं। वह बताती हैं कि अपनी बेटियों की हिफाजत के लिए उन्होंने हथियार के लाइसेंस के लिए आवेदन किया। वह कहती हैं, 'फिर हिफाजत का यह दायरा बढ़ता गया। मेरी बेटी की सहेलियां, उनकी सहेलियां और जानने वालियां सब उस दायरे में आती गईं।'

चारपाई पर बैठकर अपनी दोनाली बंदूक को जतन से साफ करती हुईं शाहना बताती हैं, 'मैंने 1990 का वह दौर भी देखा है जब महिलाओं को अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों की शिकायत करने के लिए दर-दर भटकना पड़ता था। मैंने जवान लड़कियों को किसी से मदद ना मिलने पर खुदकुशी करते देखा है। मैं उस वक्त काफी युवा थी और मेरे पति की मौत हो गई। मैं अकेली थी। मुझे डर लगता था कि मेरी बेटियों के साथ कुछ भी हो सकता है। रिश्तेदार भी मेरी हालत का फायदा उठा सकते थे। तब मैंने फैसला किया कि ना केवल मैं खुद के लिए लड़ूंगी, बल्कि औरों के लिए भी लड़ूंगी। मेरे प्रयासों को पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने पहचाना और उन्होंने मुझे हथियार रखने का लाइसेंस दिलाया।'

एक ग्रामीण अलेह नाबी कहती हैं, 'इस गांव में कोई भी किसी भी लड़की को फिकरा कसने या छेड़ने की हिम्मत नहीं करता। यह सब शाहना बेगम के कारण हुआ है। मुझे याद नहीं पड़ता कि हमारे गांव में किसी के साथ भी यौन उत्पीड़न या छेड़छाड़ की वारदात हुई हो।' 21 साल की किरण देवी के लिए तो शाहना उनकी प्रेरणा हैं। वह कहती हैं, 'कई दशकों से शाहना बेगम महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचारों से लड़ती आ रही हैं। इस गांव में लड़कियां और महिलाएं अंधेरा होने के बाद भी घूमती हैं।' सिंधौली थाने के प्रभारी यतींद्र भारद्वाज ने बताया, 'मैंने डेढ़ महीने पहले ही कार्यभार संभाला और इस महिला के बारे में सुना। वह हमेशा अपने साथ बंदूक रखती हैं। यह भी सच है कि उस गांव में लंबे समय से महिलाओं के खिलाफ किसी अत्याचार की शिकायत नहीं आई है।'

इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ें: Shahjahanpur's 'Bandookwali aunty' spells terror for harassers of women

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