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सरकार ने नहीं सुनी, गांववालों ने खुद बनाया पुल

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संजीव आजाद, अयोध्या
कहते हैं जहां चाह वहीं राह और यदि इच्छाशक्ति मजबूत हो तो इस सृष्टि में कोई भी कार्य असंभव नहीं है, अयोध्या के एक गांव में रहने वाले लोगों ने इस कहावत को सच साबित किया है। नदी पर पुल बनवाने के लिए लंबे समय तक ये जिला प्रशासन के सामने गुहार लगाते रहे लेकिन जब किसी ने उनका बात नहीं सुनी तो वे अपना रास्ता बनाने खुद निकल पड़े। इन गांववालों ने दिन रात मेहनत करके अपने बलबूते नदी पर पुल बनाकर तैयार कर दिया। ग्रामीणों के इस साहसिक और समर्पित कार्य की क्षेत्र में तो चर्चा है ही, साथ ही साथ उनका यह कार्य समूचे राष्ट्र के लिए एक सशक्त संदेश बन गया।

जानकारी के मुताबिक, तारुन ब्लॉक के कांधरपुर निवासी ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान के नेतृत्व में खुद ही नदी पर पुल बनाकर नजीर पेश की है। ग्रामीणों ने बरसात के पहले ही ग्राम प्रधान प्रतिनिधि शिवकुमार निषाद की अगुवाई में तमसा नदी पर दिन रात कडी़ मेहनत कर लकड़ी का पुल बना डाला। नदी पर पुल बन जाने से जहां कई गांवों का आवागमन सरल हो गया, तो वहीं उस पार स्थित देवस्थान पर अपनी आस्था के फूल चढ़ाने जाने वाले ग्रामीणों को पहुंचने में आसानी होगी, जबकि अभी तक भक्त देवस्थल तक बरसात में तैर पहुंचते थे।

10 किलोमीटर कम हो गई दूरी
ग्रामीणों की मानें तो शादी विवाह के मौके पर लोगों को करीब 10 किलोमीटर घूम कर नदी पार दूसरे गांव पहुंचना पड़ता था। पुल बनाने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से फरियाद की, लेकिन किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। फिर ग्रामीणों ने थक हार कर ग्राम प्रधान प्रतिनिधि शिव कुमार निषाद के नेतृत्व में एक बैठक कर नदी पर लकड़ी का पुल बनाने का प्लान बनाया और बिना किसी सरकारी सहायता के ही ग्रामीणों द्वारा प्रदान की गई लकड़ी और चंद पैसों की मदद से तमसा नदी पर एक शानदार लकड़ी का पुल तैयार कर दिया। जो आसपास के नदी के किनारे स्थित ग्रामीणों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गया।

ग्रामीणों का कार्य आसपास के क्षेत्र में बना चर्चा का विषय

ग्रामीणों ने कड़ी मेहनत के बाद जो मिसाल पेश की है, उसकी चर्चा आसपास के गांव में है और लोग इनके इस कार्य की भूरी-भूरी प्रशंसा कर रहे हैं। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि शिव कुमार निषाद ने बताया कि इस पुल को बनाने में दुर्गा निषाद, राम लौट मौर्य, कोटेदार दिलीप निषाद, रमेश निषाद, राजेंद्र निषाद, श्री राम निषाद सहित ग्रामीणों ने खाना पीना छोड़कर लगातार पुल का निर्माण कर दिया जो अपने में बेमिसाल है।

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