श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर का 'दिल' कहे जाने वाले लाल चौक पर गत सोमवार को एक अलग ही नजारा देखने को मिला। एक डॉक्टर प्ले कार्ड लेकर वहां पर बैठे दिखाई दिए। स्थानीय लोगों ने सोचा कि डॉक्टर उमर शाद सलीम प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन जब उनकी नजर उनके प्लेकार्ड पर गई तो हकीकत कुछ और निकली। डॉक्टर सलीम के प्लेकार्ड पर लिखा था, 'यह विरोध प्रदर्शन नहीं है, यह अनुरोध है।'
दरअसल, कश्मीर में इंटरनेट के काम नहीं करने की वजह से मरीजों को केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जन आरोग्य योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है जिससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है। ऐसे मरीजों की आवाज के लिए डॉक्टर सलीम प्लेकार्ड लेकर लालचौक पर बैठने का रिस्क उठाया। 38 वर्षीय यूरॉलजिस्ट सलीम मुंबई के प्रतिष्ठित जसलोक हॉस्पिटल में नौकरी छोड़कर अपने गृह राज्य में सरकारी डॉक्टर के रूप में सेवा देने आए हैं।
डॉक्टर सलीम ने गुरुवार को कहा कि कोठी बाग पुलिस स्टेशन ले जाने के बाद पुलिसकर्मियों ने थोड़ी देर बाद छोड़ दिया। उन्होंने कहा, 'पुलिसकर्मियों को डर था कि प्लेकार्ड के साथ लाल चौक पर मेरी उपस्थिति से कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है। जबकि दूसरी तरफ मैं लोगों का ध्यान दिलाना चाहता था कि प्रशासन तत्काल हॉस्पिटल में इंटरनेट सेवा बहाल करे ताकि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत सुपर-स्पेशिऐलिटी इलाज के लिए आवेदन किया जा सके।'
श्रीनगर सरकारी मेडिकल कॉलेज में तैनात उमर एक परोपकारी डॉक्टरों के परिवार से आते हैं। उनकी पत्नी भी डॉक्टर हैं और उन्होंने भी जसलोक हॉस्पिटल की नौकरी छोड़ दी है। उनकी पत्नी अब एक स्थानीय हॉस्पिटल में काम करती हैं। उमर ने बताया कि बड़ी संख्या में डायलसिस या कीमोथेरेपी के लिए हॉस्पिटल आने वाले मरीजों को संचार सेवाओं के बंद होने से परेशानी हो रही है।
उमर ने कहा, 'हम आयुष्मान भारत कार्ड को स्वाइप नहीं कर पा रहे हैं।' उमर के माता-पिता कैंसर के मरीजों का इलाज करते हैं। वे अपनी निजी क्लिनिक में गरीब मरीजों से पैसे नहीं लेते हैं। उमर भी गरीबों मरीजों का इलाज करने के लिए सप्ताहांत साइकल से 30 किमी का सफर का अपने गृह कस्बे सोपोर जाते हैं।
जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर का 'दिल' कहे जाने वाले लाल चौक पर गत सोमवार को एक अलग ही नजारा देखने को मिला। एक डॉक्टर प्ले कार्ड लेकर वहां पर बैठे दिखाई दिए। स्थानीय लोगों ने सोचा कि डॉक्टर उमर शाद सलीम प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन जब उनकी नजर उनके प्लेकार्ड पर गई तो हकीकत कुछ और निकली। डॉक्टर सलीम के प्लेकार्ड पर लिखा था, 'यह विरोध प्रदर्शन नहीं है, यह अनुरोध है।'
दरअसल, कश्मीर में इंटरनेट के काम नहीं करने की वजह से मरीजों को केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जन आरोग्य योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है जिससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है। ऐसे मरीजों की आवाज के लिए डॉक्टर सलीम प्लेकार्ड लेकर लालचौक पर बैठने का रिस्क उठाया। 38 वर्षीय यूरॉलजिस्ट सलीम मुंबई के प्रतिष्ठित जसलोक हॉस्पिटल में नौकरी छोड़कर अपने गृह राज्य में सरकारी डॉक्टर के रूप में सेवा देने आए हैं।
डॉक्टर सलीम ने गुरुवार को कहा कि कोठी बाग पुलिस स्टेशन ले जाने के बाद पुलिसकर्मियों ने थोड़ी देर बाद छोड़ दिया। उन्होंने कहा, 'पुलिसकर्मियों को डर था कि प्लेकार्ड के साथ लाल चौक पर मेरी उपस्थिति से कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है। जबकि दूसरी तरफ मैं लोगों का ध्यान दिलाना चाहता था कि प्रशासन तत्काल हॉस्पिटल में इंटरनेट सेवा बहाल करे ताकि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत सुपर-स्पेशिऐलिटी इलाज के लिए आवेदन किया जा सके।'
श्रीनगर सरकारी मेडिकल कॉलेज में तैनात उमर एक परोपकारी डॉक्टरों के परिवार से आते हैं। उनकी पत्नी भी डॉक्टर हैं और उन्होंने भी जसलोक हॉस्पिटल की नौकरी छोड़ दी है। उनकी पत्नी अब एक स्थानीय हॉस्पिटल में काम करती हैं। उमर ने बताया कि बड़ी संख्या में डायलसिस या कीमोथेरेपी के लिए हॉस्पिटल आने वाले मरीजों को संचार सेवाओं के बंद होने से परेशानी हो रही है।
उमर ने कहा, 'हम आयुष्मान भारत कार्ड को स्वाइप नहीं कर पा रहे हैं।' उमर के माता-पिता कैंसर के मरीजों का इलाज करते हैं। वे अपनी निजी क्लिनिक में गरीब मरीजों से पैसे नहीं लेते हैं। उमर भी गरीबों मरीजों का इलाज करने के लिए सप्ताहांत साइकल से 30 किमी का सफर का अपने गृह कस्बे सोपोर जाते हैं।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।