भोपाल
यदि मन में कुछ कर गुजरने की चाहत और जज्बा हो तो कोई भी मुसीबत आपका रास्ता नहीं रोक सकती है। मध्य प्रदेश के छतरपुर की 19 वर्षीय ममता पटेल इसी तरह के बेमिसाल हौसले की जीती जागती मिसाल हैं। बीए प्रथम वर्ष की छात्रा ममता के दोनों हाथ नहीं है। ऐसे में वह पैर से लिखकर अपने सपनों को साकार करने में जुटी हैं।
इन दिनों ममता पटेल की परीक्षाएं चल रही हैं। परीक्षा कक्ष में वह पैर की मदद से प्रश्नपत्र हल कर रही हैं। ममता बताती हैं, 'पिता जी ने मुझे पैर से लिखना सिखाया। स्कूल में मुझे इस तरह लिखता देखकर बच्चे मेरा मजाक उड़ाते थे, पर अब मैं कॉलेज पहुंच गई हूं, मुझे बहुत अच्छा महसूस होता है।'
जन्म से ही ममता के दोनों हाथ नहीं थे। एक छोटे से अविकसित हाथ के साथ ममता ने स्कूल की पढ़ाई पैर से लिखकर पूरी की।
वह अपने बाएं पैर से लिखती हैं। पढ़ाई के प्रति ममता का जुनून देखकर उनके कॉलेज के अन्य स्टूडेंट और टीचर्स अचंभित हैं।
यदि मन में कुछ कर गुजरने की चाहत और जज्बा हो तो कोई भी मुसीबत आपका रास्ता नहीं रोक सकती है। मध्य प्रदेश के छतरपुर की 19 वर्षीय ममता पटेल इसी तरह के बेमिसाल हौसले की जीती जागती मिसाल हैं। बीए प्रथम वर्ष की छात्रा ममता के दोनों हाथ नहीं है। ऐसे में वह पैर से लिखकर अपने सपनों को साकार करने में जुटी हैं।
इन दिनों ममता पटेल की परीक्षाएं चल रही हैं। परीक्षा कक्ष में वह पैर की मदद से प्रश्नपत्र हल कर रही हैं। ममता बताती हैं, 'पिता जी ने मुझे पैर से लिखना सिखाया। स्कूल में मुझे इस तरह लिखता देखकर बच्चे मेरा मजाक उड़ाते थे, पर अब मैं कॉलेज पहुंच गई हूं, मुझे बहुत अच्छा महसूस होता है।'
जन्म से ही ममता के दोनों हाथ नहीं थे। एक छोटे से अविकसित हाथ के साथ ममता ने स्कूल की पढ़ाई पैर से लिखकर पूरी की।
वह अपने बाएं पैर से लिखती हैं। पढ़ाई के प्रति ममता का जुनून देखकर उनके कॉलेज के अन्य स्टूडेंट और टीचर्स अचंभित हैं।
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