अखिलेश पांडेय, मुंबई
कहते हैं अंगदान से बड़ा कोई दान नहीं होता। इससे न केवल एक इंसान, बल्कि उससे जुड़े सभी लोगों को जिंदगी की एक नई सौगात मिलती है। आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में हर साल लगभग 5 लाख लोगों को अपनी जिंदगी अंगदान (ट्रांसप्लांट) के अभाव में गंवानी पड़ती है।
अंगदान को लेकर लोगों में जागरूकता के अभाव के कारण हर साल कई परिवार अपनों को खोकर बिखर जाते हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों में अंगदान को लेकर लोगों में जागरूकता का ग्राफ बढ़ता दिख रहा है। मुंबई की बात करें तो पिछले 5 सालों में सैकड़ों लोगों को अंगदान के जरिए नई जिंदगी की रोशनी मिली है।
176 कैडावर डोनेशन से सैकड़ों को मिली जिंदगी
अंगदान के लिए काम करने वाली संस्था जोनल ट्रासंप्लांटेशन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (जेडटीसीसी) से मिले आंकड़ों के अनुसार, 2011 से लेकर अब तक 176 कैडावर डोनेशन से 296 किडनी और 151 लीवर मिले हैं, जिनसे जिंदगी और मौत के बीच में फंसे सैकड़ों लोगों को नई जिंदगी की सौगात मिली है। जेडटीसीसी से मिली जानकारी के अनुसार, अभी भी अंगदान को लेकर न केवल लोगों में जागरूकता की कमी है बल्कि इसे लेकर कई भ्रांतियां भी हैं।
1 साल में 26 हृदय प्रत्यारोपण
जेडटीसीसी से जुड़े एक कर्मचारी ने बताया कि मुंबई में एक साल में 26 हृदय प्रत्यारोपण को अंजाम दिया जा चुका है। अगस्त 2015 में मुंबई में पहली बार हृदय प्रत्यारोपण के जरिए एक मरीज को नई जिंदगी दी गई थी, जिसके बाद से अब तक मुंबई में 26 लोगों का ह्रदय प्रत्यारोपण किया जा चुका है। अगस्त 2015 से दिसंबर के अंत तक जहां 5 हृदय प्रत्यारोपण किए गए थे, वहीं जनवरी से अब तक 21 हृदय प्रत्यारोपण किए जा चुके हैं।
क्या है अंगदान?
अंगदान एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एक इंसान (मृत और कभी-कभी जीवित भी) से स्वस्थ अंग और टिशूज़ निकाल कर किसी दूसरे जरूरतमंद शख्स में ट्रांसप्लांट कर दिए जाते हैं। इससे जरूरतमंद इंसान को नई जिंदगी मिलती है। यह प्रक्रिया दो प्रकार की होती है- अंगदान और टिशू दान। अंगदान में किडनी, लंग्स, लिवर, हार्ट, इंटेस्टाइन इत्यादि दान किए जाते हैं, जबकि टिशू दान में आंख, हड्डी और स्किन दान दी जाती है।
नानावटी हॉस्पिटल के ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर प्रकाश ने कहा,'अंगदान को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी तो है ही, लेकिन अगर ठीक तरीके से मरीज के परिवार वालों की काउंसलिंग की जाए तो वे मान जाते हैं। अंगदान के लिए राजी करने के लिए मरीज के परिवार वालों का विश्वास जीताना बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे किसी एक को नई जिंदगी मिल सकती है।'
नेफ्रो प्लस के डायरेक्टर (पेशंट सर्विस) डॉ. कमल शाह ने कहा, 'देश में अंगदान की बड़ी कमी है। हर साल 1.5 लाख लोगों को किडनी की जरूरत होती है, जबकि केवल 5 हजार लोगों को ही मिल पाती है।'
कहते हैं अंगदान से बड़ा कोई दान नहीं होता। इससे न केवल एक इंसान, बल्कि उससे जुड़े सभी लोगों को जिंदगी की एक नई सौगात मिलती है। आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में हर साल लगभग 5 लाख लोगों को अपनी जिंदगी अंगदान (ट्रांसप्लांट) के अभाव में गंवानी पड़ती है।
अंगदान को लेकर लोगों में जागरूकता के अभाव के कारण हर साल कई परिवार अपनों को खोकर बिखर जाते हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों में अंगदान को लेकर लोगों में जागरूकता का ग्राफ बढ़ता दिख रहा है। मुंबई की बात करें तो पिछले 5 सालों में सैकड़ों लोगों को अंगदान के जरिए नई जिंदगी की रोशनी मिली है।
176 कैडावर डोनेशन से सैकड़ों को मिली जिंदगी
अंगदान के लिए काम करने वाली संस्था जोनल ट्रासंप्लांटेशन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (जेडटीसीसी) से मिले आंकड़ों के अनुसार, 2011 से लेकर अब तक 176 कैडावर डोनेशन से 296 किडनी और 151 लीवर मिले हैं, जिनसे जिंदगी और मौत के बीच में फंसे सैकड़ों लोगों को नई जिंदगी की सौगात मिली है। जेडटीसीसी से मिली जानकारी के अनुसार, अभी भी अंगदान को लेकर न केवल लोगों में जागरूकता की कमी है बल्कि इसे लेकर कई भ्रांतियां भी हैं।
1 साल में 26 हृदय प्रत्यारोपण
जेडटीसीसी से जुड़े एक कर्मचारी ने बताया कि मुंबई में एक साल में 26 हृदय प्रत्यारोपण को अंजाम दिया जा चुका है। अगस्त 2015 में मुंबई में पहली बार हृदय प्रत्यारोपण के जरिए एक मरीज को नई जिंदगी दी गई थी, जिसके बाद से अब तक मुंबई में 26 लोगों का ह्रदय प्रत्यारोपण किया जा चुका है। अगस्त 2015 से दिसंबर के अंत तक जहां 5 हृदय प्रत्यारोपण किए गए थे, वहीं जनवरी से अब तक 21 हृदय प्रत्यारोपण किए जा चुके हैं।
क्या है अंगदान?
अंगदान एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एक इंसान (मृत और कभी-कभी जीवित भी) से स्वस्थ अंग और टिशूज़ निकाल कर किसी दूसरे जरूरतमंद शख्स में ट्रांसप्लांट कर दिए जाते हैं। इससे जरूरतमंद इंसान को नई जिंदगी मिलती है। यह प्रक्रिया दो प्रकार की होती है- अंगदान और टिशू दान। अंगदान में किडनी, लंग्स, लिवर, हार्ट, इंटेस्टाइन इत्यादि दान किए जाते हैं, जबकि टिशू दान में आंख, हड्डी और स्किन दान दी जाती है।
नानावटी हॉस्पिटल के ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर प्रकाश ने कहा,'अंगदान को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी तो है ही, लेकिन अगर ठीक तरीके से मरीज के परिवार वालों की काउंसलिंग की जाए तो वे मान जाते हैं। अंगदान के लिए राजी करने के लिए मरीज के परिवार वालों का विश्वास जीताना बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे किसी एक को नई जिंदगी मिल सकती है।'
नेफ्रो प्लस के डायरेक्टर (पेशंट सर्विस) डॉ. कमल शाह ने कहा, 'देश में अंगदान की बड़ी कमी है। हर साल 1.5 लाख लोगों को किडनी की जरूरत होती है, जबकि केवल 5 हजार लोगों को ही मिल पाती है।'
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