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ड्राइवर के बेटे की सर्जरी को जुटाए 25 लाख

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मुंबई
6 साल के आदित्य शिंदे के लिए नई जिंदगी मिलने की नौबत बहुत कम उम्र में ही आ गई। 2 ओपन हार्ट सर्जरी और एक हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद अब आदित्य एक सेहतमंद जिंदगी जी सकेंगे। बचपन से ही आदित्य के दिल में छेद था। अब इसका सफल इलाज हो चुका है और इसका पूरा श्रेय उस शख्स को जाता है, जिनके यहां आदित्य के पिता नौकरी करते हैं। आदित्य के पिता ड्राइवर हैं। वह पिछले 10 सालों से श्रीराम परिवार के यहां नौकरी कर रहे हैं। इसी परिवार की मीना श्रीराम ने आदित्य की मदद की और उसके इलाज के लिए 25 लाख रुपयों का इंतजाम किया।

7 महीने के लंबे इंतजार के बाद अब जाकर दिसंबर में आदित्य के लिए स्थितियां सामान्य हुई हैं। हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए एक दिल की जरूरत थी। नवंबर में यह ऑर्गन सिकंदराबाद से चेन्नै आया और फिर वहां से नवी मुंबई स्थित फॉर्टिस अस्पताला लाया गया। आदित्य की सर्जरी में 7 घंटे से भी ज्यादा समय लगा। आदित्य के पिता रूपेश शिंदे (37) एक ड्राइवर हैं। वह बताते हैं कि दिल का छेद भरने के लिए पहले भी आदित्य का 2 बार असफल ऑपरेशन हो चुका था। इस बीमारी के कारण आदित्य चल भी नहीं पाता था। इलाज का खर्च काफी महंगा था और रूपेश की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी।

वह बताते हैं, 'जब मेरा बेटा मुझसे पूछता कि वह बाकी बच्चों की तरह कब चल सकेगा, तो मैं समझ नहीं पाता कि उसे क्या जवाब दूं। मैं मीना श्रीराम के यहां ड्राइवर का काम करता था। उन्होंने और चेन्नै के डॉक्टर्स ने मिलकर उस समय मेरी मदद की जब मैं सारी उम्मीदें हार चुका था।' उन्होंने बताया, 'मीना जी ने मुझसे मेरी उदासी का कारण पूछा। जब मैंने उन्हें अपनी परेशानी बताई, तो उन्होंने अपने दोस्तों से संपर्क कर एक हफ्ते के अंदर 25 लाख रुपयों का इंतजाम कर लिया। उन्होंने मुझे बेटे का इलाज कराने के लिए जबरन चेन्नै भेजा।' मीना एक वित्तीय सलाहकार का काम करती हैं। वह बताती हैं, 'सबसे अहम बात यह है कि 2 दिन के अंदर पैसों का इंतजाम हो गया। मेरे दोस्तों और क्लाइंट्स ने मदद की। मैंने रूपेश से कहा कि हार मानना आसान है। मैंने फिर उसे चेन्नै भेजा। उसके साथ एक दोस्त भी गया, ताकि उसे भाषा समझने में कोई परेशानी ना हो।'

मीना कहती हैं कि आदित्य के इलाज की कहानी उम्मीदों के जीतने की कहानी है। वह मानती हैं कि अगर सही डॉक्टर से सही सवाल पूछा जाए, तो कई लोगों को बचाया जा सकता है। मीना बताती हैं कि उनके दफ्तर में काम करने वाले एक कर्मचारी, जिसका वेतन 25,000 रुपये महीना है, उसने भी आदित्य की मदद के लिए 5,000 रुपये का चेक दिया।

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