नोएडा
कोरोना ने हर किसी को पीड़ा दी है। कहीं लोगों की नौकरी जा रही है तो कहीं सैलरी में कटौती हो रही है। हालांकि कहते हैं कि मुश्किल वक्त में भी काबिल लोग नई संभावनाएं तलाश लेते हैं। इसी का सटीक उदाहरण हैं ऊंचा अमींपुर गांव की दस महिलाएं।
जब कोरोना फैला और लॉकडाउन हुआ तो सबको अपनी जिंदगी के साथ ही रोजगार की चिंता सताने लगी, लेकिन इन महिलाओं ने कुछ करने की ठानी। जिले के आखिरी छोर एवं ग्रेनो से करीब 30 किलोमीटर दूर बसे ऊंचा अमींपुर गांव की इन महिलाओं ने मिलकर मास्क सिलाई का काम शुरू किया। इन्होंने बस दो महीने में अब तक करीब एक लाख रुपये के मास्क बेच दिए हैं।
ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत लिया लोन
गांव में रहने वाली पूनम सिसोदिया ग्रैजुएट हैं, लेकिन घर के कामों में ही बिजी रहती थीं। लॉकडाउन में रोजगार जाने की बातें हो रही थीं। इसी दौरान पूनम ने कुछ अलग करने की सोची। परिवार ने भी साथ दिया। उन्होंने गांव की कमलेश, संगीता, शीतल, उर्मिला, रामेश्वरी, रश्मि, प्रियंका, बिमलेश और रामवती के साथ मिलकर साईं बाबा स्वयं सहायता समूह के नाम से ग्रुप बनाया। जिला प्रशासन के पास इसका रजिस्ट्रेशन कराया। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्रशासन ने उनको एक लाख रुपये का लोन भी दिलाया। उसके बाद पिलखवा और दादरी से कपड़ा आदि कच्चा माल लेकर मास्क बनाना शुरू कर दिया। गांव में ही महिलाओं ने सिलाई मशीनों से मास्क बनाए।
500 मास्क रोज कर रहीं तैयार
समूह की अध्यक्ष पूनम सिसोदिया ने बताया कि समूह ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव करने के लिए फेस मास्क बनाने का निर्णय लिया था जो अभी भी जारी है। ग्रुप की महिलाएं एक साथ मेहनत से मास्क तैयार करने में लगी हैं। दिन भर में लगभग 500 मास्क तैयार कर लिए जाते हैं। एक मास्क की कीमत भी इन्होंने ज्यादा नहीं रखी है। एक मास्क 18 से 20 रुपये में ये बेच रही हैं।
4 हजार से ज्यादा मास्क खरीदे NTPC ने
एनटीपीसी ने इस समूह से 4030 फेस मास्क खरीदे। ज़िला प्रशासन, पुलिस प्रशासन एवं अन्य संस्थाओं को भी उन्होंने मास्क दिए हैं। पिछले दो माह में उन्होंने एक लाख रुपये से ज्यादा के मास्क बेच दिए हैं। गांव से सटे एनटीपीसी ने इनको सबसे अधिक ऑर्डर दिया।
कोरोना ने हर किसी को पीड़ा दी है। कहीं लोगों की नौकरी जा रही है तो कहीं सैलरी में कटौती हो रही है। हालांकि कहते हैं कि मुश्किल वक्त में भी काबिल लोग नई संभावनाएं तलाश लेते हैं। इसी का सटीक उदाहरण हैं ऊंचा अमींपुर गांव की दस महिलाएं।
जब कोरोना फैला और लॉकडाउन हुआ तो सबको अपनी जिंदगी के साथ ही रोजगार की चिंता सताने लगी, लेकिन इन महिलाओं ने कुछ करने की ठानी। जिले के आखिरी छोर एवं ग्रेनो से करीब 30 किलोमीटर दूर बसे ऊंचा अमींपुर गांव की इन महिलाओं ने मिलकर मास्क सिलाई का काम शुरू किया। इन्होंने बस दो महीने में अब तक करीब एक लाख रुपये के मास्क बेच दिए हैं।
ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत लिया लोन
गांव में रहने वाली पूनम सिसोदिया ग्रैजुएट हैं, लेकिन घर के कामों में ही बिजी रहती थीं। लॉकडाउन में रोजगार जाने की बातें हो रही थीं। इसी दौरान पूनम ने कुछ अलग करने की सोची। परिवार ने भी साथ दिया। उन्होंने गांव की कमलेश, संगीता, शीतल, उर्मिला, रामेश्वरी, रश्मि, प्रियंका, बिमलेश और रामवती के साथ मिलकर साईं बाबा स्वयं सहायता समूह के नाम से ग्रुप बनाया। जिला प्रशासन के पास इसका रजिस्ट्रेशन कराया। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्रशासन ने उनको एक लाख रुपये का लोन भी दिलाया। उसके बाद पिलखवा और दादरी से कपड़ा आदि कच्चा माल लेकर मास्क बनाना शुरू कर दिया। गांव में ही महिलाओं ने सिलाई मशीनों से मास्क बनाए।
500 मास्क रोज कर रहीं तैयार
समूह की अध्यक्ष पूनम सिसोदिया ने बताया कि समूह ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव करने के लिए फेस मास्क बनाने का निर्णय लिया था जो अभी भी जारी है। ग्रुप की महिलाएं एक साथ मेहनत से मास्क तैयार करने में लगी हैं। दिन भर में लगभग 500 मास्क तैयार कर लिए जाते हैं। एक मास्क की कीमत भी इन्होंने ज्यादा नहीं रखी है। एक मास्क 18 से 20 रुपये में ये बेच रही हैं।
4 हजार से ज्यादा मास्क खरीदे NTPC ने
एनटीपीसी ने इस समूह से 4030 फेस मास्क खरीदे। ज़िला प्रशासन, पुलिस प्रशासन एवं अन्य संस्थाओं को भी उन्होंने मास्क दिए हैं। पिछले दो माह में उन्होंने एक लाख रुपये से ज्यादा के मास्क बेच दिए हैं। गांव से सटे एनटीपीसी ने इनको सबसे अधिक ऑर्डर दिया।
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