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जरूरतमंदों तक पहुचंती हैं रोज हजारों रोटियां

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नई दिल्लीः लॉकडाउन के दौरान नोएडा के रोटी बैंक ने भी मिसाल पेश की है। रोजाना यहां से हजारों रोटियां उन लोगों तक पहुंचाई जाती हैं जिनके पास खाने के लिए कुछ नहीं बचा। खासबात यह है कि ये रोटियां यहां की सोसाटीज के लोग अपने किचन में बनाकर दे रहे हैं। इस रोटी बैंक में मंगलवार की शाम को 45 हजार रोटियां और छह हजार के करीब पूरियां तैयार होकर आईं। ये रोटियां नोएडा शहर के विभिन्न सेक्टरों की लगभग 42 सोसायटी व आवासीय सेक्टरों के लगभग दस हजार घरों में रोज तैयार होती हैं। 12 अप्रैल से शुरू हुए रोटी बैंक ने 25 दिन में 5 लाख रोटी का आंकड़ा भी पार कर लिया। इस तरह से नोएडा शहर के हजारों हाथ अब रोटियां बनाने में लगे हैं। जिन्हें कम्युनिटी किचन के जरिए जरूरतमंदों तक पहुंचाया जा रहा है।

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रोटी बैंक से पहले नोएडा प्राधिकरण ने शहर में चार-पांच जगह कम्युनिटी किचन बनाए थे। ये शहर के अलग-अलग हिस्सों में हैं। सोहरखा कम्युनिटी किचन की निगरानी कर रहे नोएडा प्राधिकरण के प्रोजेक्ट इंजीनियर मुकेश वैश्य ने सेक्टर-78 के ब्रजेश और सेक्टर-77 के अमित गुप्ता व अन्य के सामने रोटी बैंक का कॉन्सेप्ट रखा। इस पर 7 एक्स ( सेक्टर 74 से 79 तक) की सोसायटी का एक समूह से जुड़े लोगों ने इस पर अपनी-अपनी सोसायटी के सदस्यों से बातचीत कर अपनी सहमति दे दी। तब इस रोटी बैंक में पहले दिन सेक्टर 78 से 400 रोटियां बनकर आईं। अब तक सभी जगह से पांच लाख रोटियां बनकर आ चुकी हैं।

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मंगलवार को इस रोटी बैंक को बने हुए 25 दिन हो गए हैं। अब इसका दायरा 42 सोसायटियों में पहुंच चुका है। इनमें सेक्टर 21,25,26,34,49,51, 70,93,104,108,110,119 से 122, 128,135 व 137 तक से रोटियां तैयार होकर आने लगी हैं। प्रोजेक्ट इंजीनियर ए. रावल बताते हैं कि कई घरों ने इस दौर में रोटियां बनाना बंद कर ब्रेड से काम चलाना शुरू कर दिया था। जब रोटी बैंक बना तो ऐसे घरों से भी रोटियां बनकर आने लगीं। अब लगभग 11 हजार घरों से ये रोटियां आ रही हैं। रोटी बैंक के कंसेप्ट को लेकर सांसद डॉ. महेश शर्मा, विधायक पंकज सिंह और नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी गदगद हैं। शहर की 42 सोसायटी व अन्य सेक्टरों से रोटियों को एकत्र करने को 5 ई-रिक्शे व 4 टेंपों शाम को चार बजे रवाना होते हैं। लोग अपने-अपने घरों से तैयार रोटियां पैक करके सोसायटी के मुख्य द्वार पर भेज देती हैं। अब इस मुहिम में महिला व बच्चे भी शामिल हो गए हैं। ये रोटियां कम्युनिटी किचन के जरिए रात के खाने में वितरित की जाती हैं।


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