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कोरोना: रोजाना 250 को खाना, मिलिए 'मसीहा' से

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मेरठ
मेरठ के शकील शादी और दूसरे आयोजनों में खाना बनाने का काम करते हैं। पूरे देश में लॉकडाउन होने के बाद मेरठ के मोहम्मद शकील (32) के पास कोई काम हीं बचा। उन्होंने अपनी टीम के छह साथियों के साथ मिलकर इस दौरान गरीबों की मदद करने की ठानी। अब वह अपनी टीम के साथ मिलकर मेरठ में रोज लगभग 250 लोगों को खाना खिलाते हैं।

शकील ने बताया कि लॉकडाउन होने के बाद उन लोगों को काम मिलना बंद हो गया। जो पहले से बुकिंग थी वह भी कैंसल हो गई लेकिन वे लोग परेशान नहीं हुआ। उन्होंने इस परेशानी के समय में दूसरों की मदद करने की ठानी। वो लोग अपने खर्च से सामान लाते हैं और गरीबों का पेट भरने के लिए खाना पकाकर उन्हें खिलाते हैं।

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घर के आसपास लगभग 3500 बेघर लोग

शकील ने बताया कि उनके घर के आसपास लगभग 3,500 लोग ऐसे हैं जो बेघर हैं और सड़कों पर रहते हैं। वह उन लोगों को भूखा मरता हुआ नहीं देख सकते थे। उन्होंने कहा कि ऊपर वाले ने उन्हें खाना पकाने का टैलंट दिया है इसलिए वह उसका प्रयोग एक अच्छे काम के लिए कर रहे हैं।

तीन लोग एक-एक मीटर की दूरी पर खड़े करते हैं लोग
उनकी टीम एक तरफ जहां खाना बांटती है वहीं लोगों को सोशल डिस्टेंस के बारे में भी जागरूक करती है। टीम के दूसरे सदस्य दानिश अहमद ने बताया कि जब वे लोग खाने का ट्रक लेकर पहुंचते हैं तो भीड़ एकत्र हो जाती है। उन लोगों से से तीन लोग खाना बांटने का काम करते हैं और तीन लोग लोगों को एक मीटर की दूरी पर खड़ा करके लाइन बनवाते हैं।

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अन्य लोगों से कर रहे संपर्क

उन लोगों ने बताया कि वे लोग सुबह जल्दी उठते हैं, थोक विक्रेता से दाल, चावल और सब्जियां लाते हैं। घर में खाना पकाते हैं और फिर उसे बांटने जाते हैं। वे लोग अभी दो जगहों सिटी रेलवे स्टेशन और बेगम ब्रिज क्रॉसिंग के पास जाकर खाना बांटते हैं। शकील ने बताया कि वह अन्य कुकों से भी संपर्क कर रहे हैं ताकि वे लोग भी उनके इस नेक काम में आकर सहयोग करें।

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खाना लेने आए राम कुमार ने कहा कि इन लोगों के साथ उनकी दुआएं हैं क्योंकि वह दैनिक मजदूर हैं और लॉकडाउन के बाद उनके पास कोई काम नहीं बचा है। उनकी भूखे मरने की नौबत आ गई थी।

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