मोची का काम करने वाले एक सज्जन ऐसे जूते जमा करते हैं जो लोग फेंक देते हैं। उन जूतों को वह खुद मरम्मत करके ठीक करते हैं और फिर वहां पहुंचा आते हैं, जहां से ये जूते जरूरतमंदों तक पहुंच जाते हैं। 80 साल के एक बुजुर्ग पूरे साल पैसे जमा करते हैं। साल में एक बार उन जरूरतमंदों के लिए दे आते हैं, जिन्हें उनकी बेहद जरूरत है।मोची का काम करने वाले एक सज्जन ऐसे जूते जमा करते हैं जो लोग फेंक देते हैं। उन जूतों को वह खुद मरम्मत करके ठीक करते हैं और फिर वहां पहुंचा आते हैं, जहां से ये जूते जरूरतमंदों तक पहुंच जाते हैं। 80 साल के एक बुजुर्ग पूरे साल पैसे जमा करते हैं। साल में एक बार उन जरूरतमंदों के लिए दे आते हैं, जिन्हें उनकी बेहद जरूरत है।
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