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बचपन में शादी से बची, अब 'बेटी बचाओ' का चेहरा

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अंबिका पंडित, चेन्नै
4 जुलाई 2017 का वह दिन था, जब तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले के डीएम को 13 वर्षीय एक बच्ची की तरफ से डिस्ट्रेस कॉल मिली। बच्ची नंदिनी नागराजी ने डीएम को बताया कि जबरन उसकी शादी दोगुनी उम्र के व्यक्ति के साथ की जा रही है। नंदिनी तब नौवीं क्लास में थीं। डीएम के आदेश पर पुलिस ने नंदिनी की खोज शुरू की और उसे खोजकर बालगृह भेज दिया।

छह महीने बाद जब केंद्र की 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना जनवरी 2018 में नंदिनी के शहर पहुंचा, तब जिला प्रशासन ने नंदिनी को इस अभियान का चेहरा बनाया और 'बाल विवाह के खिलाफ अभियान' की जिम्मेदारी दी।

'बार-बार सुनाऊंगी अपनी कहानी'
गुरुवार को नई दिल्ली में नंदिनी ने नैशनल गर्ल चाइल्ड डे के मौके पर अपनी पूरी यात्रा शेयर की। इस कार्यक्रम का आयोजन केंद्रीय महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्रालय ने किया था। नंदिनी ने कहा, 'मैं अपनी यह कहानी बार-बार सुनाऊंगी क्योंकि मेरा बोलना जरूरी है। मेरे जैसी कई लड़कियों को बचाना है।' 11वीं में पढ़ने वाली नंदिनी आगे चलकर आईएएस बनना चाहती हैं।

ऐसे पता चला था डीएम का नंबर

बाल विवाह जैसी कुप्रथा रोकने के लिए सबसे जरूरी चीज है जागरुकता। क्योंकि यही है जिसकी वजह से नंदिनी बाल विवाह से बच पाई। असल में घटना से कुछ दिनों पहले ही नंदिनी के एक स्कूल में एक कार्यक्रम हुआ था जिसमें बच्चों को पैम्फलेट बांटे गए थे। उनमें जिले के अधिकारियों के नाम और नंबर लिखे हुए थे। नंदिनी ने इसे संभालकर रखा था।

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