Quantcast
Channel: Good News, Real Inspirational Stories, Real Heroes Positive Views – Navbharat Times
Viewing all articles
Browse latest Browse all 724

यौन उत्पीड़न: छात्राओं के लिए प्रिंसिपल ने जीती जंग

$
0
0

मुंबई
अपने स्कूल में पढ़ने वालों बच्चों की सुरक्षा को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए मुंबई के एक स्कूल की प्रिंसिपल ने उनका साथ तब तक निभाया, जब उनके गुनहगार को सजा नहीं दिला दी। तीन बच्चियों के यौन उत्पीड़न के मामले में जब सोमवार को विशेष पॉक्सो कोर्ट ने शिक्षक को दोषी करार देते हए तीन साल कठोर कारावास की सजा सुनाई तो प्रिंसिपल की पांच साल तक चलने वाली लड़ाई सफल होती दिखी। हालांकि, शिक्षक जमानत पर रिहा है। उसे छात्राओं को 25,000 रुपये जुर्माना देने के लिए भी कहा गया है।

दोषी शिक्षक के खिलाफ लड़ाई केवल बच्चियों या उनके परिवारों की नहीं थी। अप्रैल 2013 में तीन बच्चों ने प्रिंसिपल से शिकायत की थी गणित के शिक्षक उन्हें पॉर्न क्लिप भेजते हैं और क्लास में गलत तरीके से छूते हैं। उसी साल दिसंबर में उन्हीं की क्लास के 40 और बच्चों ने यही शिकायत की। बच्चों ने अपने बयान भी बताया कि टीचर को अपने पास बैठने से रोकने के लिए वे सीट पर पानी डाल देते थे या बैग रख देते थे। इस पर प्रिंसिपल ने शिक्षक के खिलाफ पॉक्सो ऐक्ट के तहत पुलिस में शिकायत की।

प्रबंधन ने लिया शिक्षक का पक्ष
प्रिंसिपल को हैरानी उस वक्त हुई जब स्कूल प्रबंधन ने शिक्षक का साथ देते हुए 14 जुलाई, 2014 को प्रिंसिपल को ही स्कूल से निकाल दिया और शिक्षक को आंतरिक जांच के बाद निर्दोष बताते हुए नवंबर में वापस नौकरी पर रख लिया। उधर, सुप्रीम कोर्ट में उनके मामले की सुनवाई के दौरान प्रिंसिपल के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह दिल्ली में रुकने का खर्च उठा पातीं। उन्होंने गुरुद्वारों, गिरिजाघरों और दोस्तों के घरों पर रुककर केस की सुनवाई में हिस्सा लिया।

कोर्ट ने दिया नौकरी वापस देने का आदेश
इस दौरान उनकी मदद उनके पुराने छात्रों और मास इंडिया नाम के NGO ने की। उनके लिए राहत की खबर तब आई जब स्कूल्स ट्राइब्यूनल और बॉम्ब हाई कोर्ट ने प्रिंसिपल को निकाले जाने के फैसले को गलत मानते हुए 2017 में उन्हें वापस नौकरी पर रखे जाने और उनका पूरा वेतन चुकाने का आदेश स्कूल को दिया। यही आदेश सुप्रीम कोर्ट ने भी दिया।


'सभी शिक्षकों की छवि खराब की...'
जब सोमवार को कोर्ट ने शिक्षक को दोषी करार दिया तो उन्होंने कहा कि उनकी सबसे बड़ी जीत है कि बच्चों को न्याय मिला। उन्होंने कहा कि उनका काम यह सुनिश्चित करना था कि आरोपों को झूठा साबित न किया जाए। उन्होंने यब साबित करना था कि ये सब तथ्य थे। जो लोग ऐसे अपराध करते हैं उन्हें स्कूल में रहने का कोई हक नहीं है। उन्होंने कहा, 'शिक्षक रोल मॉडल होते हैं लेकिन इस आदमी ने सभी शिक्षकों की छवि खराब की है। गुरु ब्रह्मा बनने की जगह वह विनाशक बन गया।'

एक और लड़ाई जारी है...
उन्होंने बताया कि उन्होंने स्कूल वापस जॉइन तो कर लिया है लेकिन उनके और प्रबंधन के बीच खटास जारी है। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें हताश करने के इरादे से उन्हें परेशान किया जाता है। वह प्रबंधन से पूछेंगी कि उन्होंने क्या अपराध किया। उन्होंने खुद को साबित किया है।

टीचर-प्रबंधन ने यह दी सफाई
उधर, शिक्षक ने खुद को निर्दोष बताया है और प्रिंसिपल पर आरोप लगाया है कि वह बदला लेने के लिए ऐसा रही हैं। शिक्षक ने कहा कि उन्हें बेस्ट टीचर का अवॉर्ड मिल चुका है और स्कूल की आंतरिक जांच में क्लीन चिट मिल चुकी है। उन्होंने सवाल उठाया कि आरोप 40 बच्चों ने लगाया था लेकिन आखिर में प्रिंसिपल सिर्फ तीन बच्चों के नाम दे सकीं। उन्होंने प्रिंसिपल पर बच्चों को भड़काने का आरोप लगाया। वहीं, स्कूल प्रबंधन का कहना है कि उन्होंने प्रिंसिपल को शिक्षक के खिलाफ शिकायत करने पर नहीं दूसरे कारणों से निकाला था।

इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ें।

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।


Viewing all articles
Browse latest Browse all 724

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>