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म‍िल‍िए ‘ऐम्बुलेंस मैन’ से, सैकड़ों की बचा चुके जान

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चंद्रभान सिंह, फतेहपुर
रात 8 बजे फतेहपुर के जिला अस्पताल में सायरन बजाती हुए एक प्राइवेट ऐम्बुलेंस पहुंचती है। गाड़ी की ड्राइविंग सीट से उतरे शख्स ने अच्छे कपड़े पहन रखे हैं, लेकिन वह फुर्ती से एक घायल बच्ची को लेकर इमर्जेंसी में पहुंचते हैं। इशारा मिलते ही अस्पताल स्टाफ ऐम्बुलेंस की तरफ दौड़ता है और अंदर मौजूद एक स्टाफ नर्स घायल को इमरजेंसी पहुंचाता है।

देखने और सुनने में यह एक सामान्य बात लगती है, लेकिन इस सेवा के पीछे हैं एक ऐसे शख्स हैं, जो लंबे समय से घायलों के लिए 'भगवान' बनकर लगातार दौड़ रहे हैं। फोन पर मिलने वाली सूचनाओं के आधार पर यूपी में कानपुर से करीब 83 किलोमटीर दूर फतेहपुर के अशोक सिंह ‘तपस्वी’ (55) अब तक करीब 900 घायलों को समय पर इलाज दिलवा चुके हैं। वहीं 340 शवों को ससम्मान पोस्टमॉर्टम हाउस तक पहुंचा चुके हैं। यह सब वह अपने निजी खर्च से करते हैं।

रेल हादसे में की थी मदद

जुलाई-2011 में मलवां में कालका मेल भीषण एक्सिडेंट का शिकार हुई थी। रेलवे और जिला प्रशासन की ऐम्बुलेंस कम पड़ जाने के कारण अशोक सिंह ने 20 घंटे तक लगातार घायलों को अस्पताल पहुंचाया था। वह कहते हैं, कई बार निजी यात्रा के दौरान भी मुझे कोई घायल दिख जाता है तो उसे अस्पताल पहुंचाना अपना फर्ज मानता हूं। इसके लिए गाड़ी में एक प्लास्टिक शीट और दस्ताने साथ रखता हूं। वह कहते हैं कि युवाओं को हेलमेट और सीट बेल्ट के इस्तेमाल में कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए। वह खुद अपनी रक्षा करें और जरूरत पर दूसरों की भी मदद करें। इससे बड़ी पूजा या इबादत दूसरी कोई नहीं।


प‍िता का सपना पूरा क‍िया
अशोक सिंह फतेहपुर के मूल निवासी हैं। उनके पिता रामेश्वर सिंह का महाराष्ट्र के पुणे में बड़ा कारोबार था। जनसेवा और धार्मिक कामों में गहरी दिलचस्पी के कारण उन्हें तपस्वी उपनाम मिला। पिता की इच्छा का आदर करते हुए अशोक सिंह ने कॉलेज की पढ़ाई के बाद मातृभूमि लौटने का फैसला किया। जनवरी-2007 में वह कार से कहीं जा रहे थे कि रास्ते में ऐक्सिडेंट में घायल एक महिला दिखी। अशोक को तुरंत पिता की बात याद आई। उन्होंने घायल महिला को गाड़ी से अस्पताल पहुंचाया।

इसके बाद कुछ दिनों में उन्होंने खुद के खर्च से एक ऐम्बुलेंस खरीदी और उस पर अपना मोबाइल नंबर सार्वजनिक कर दिया। तब से अब तक पूरे फतेहपुर में उनका मोबाइल नंबर इतना आम हो चुका है कि लोग घायलों की मदद के लिए डायल-100 या 108 पर कॉल करने के पहले उन्हें कॉल करते हैं। दिन-रात किसी भी वक्त अशोक घटनास्थल पर पहुंच कर घायलों को अस्पताल पहुंचाते हैं।

फतेहपुर के एसपी राहुल राज ने बताया, 'क‍िसी घायल की मदद करना सच्‍ची समाजसेवा है। अशोक स‍िंह की समाज सेवा की प्रेरणा के ल‍िए प्रेरणा हैं। कोई व्‍यक्‍त‍ि कभी भी क‍िसी भी घायल को अस्‍प्‍ताल पहुंचा सकता है। पुल‍िस उससे कोई पूछताछ नहीं करेगा।'

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