2004 में उन्होंने स्पेशल बच्चों को ट्रेनिंग देने के लिए स्कूल शुरू किया। इसके लिए खुद पढ़ाई की। आर्थिक दिक्कतों व अन्य मुश्किलों से जूझते हुए अपने मिशन को पूरा करने में जुटीं मणी इन बच्चों के लिए उनकी प्यारी बड़ी मैम हैं।2004 में उन्होंने स्पेशल बच्चों को ट्रेनिंग देने के लिए स्कूल शुरू किया। इसके लिए खुद पढ़ाई की। आर्थिक दिक्कतों व अन्य मुश्किलों से जूझते हुए अपने मिशन को पूरा करने में जुटीं मणी इन बच्चों के लिए उनकी प्यारी बड़ी मैम हैं।
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