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72 के बुजुर्ग ने बिल्डर को सिखाया सबक, हुई जेल

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मुंबई
कहते हैं न कि जंग जीतने के लिए किसी उम्र और किसी अनुभव की जरूरत नहीं होती। जरूरत होती है, तो सिर्फ हौसले की। इस कथन को सच कर दिखाया है 72 वर्ष के एक बुजुर्ग ने। बिल्डर द्वारा दिए गए एक चेक बाउंस होने के मामले में बुजुर्ग शिकायतकर्ता ने अपना केस खुद लड़ते हुए बिल्डर को 6 माह की जेल की सजा दिलवाई है। हालांकि बिल्डर ने मामले को चुनौती देने के लिए याचिका दाखिल की है।

हालांक‍ि इस मामले में न्यायालय ने बिल्डर को पहले दो लाख रुपये भरने की बात कही है, इसके बाद ही मामले पर सुनवाई शुरू की जाएगी। इस मामले में कई बार डिवेलपर से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन यह संभव नहीं हो सका।

यह है मामला
जे.पी. इलेक्ट्रॉनिक के मालिक जय सुखलाल पी. वाघानी ने वर्ष 2015 में पंकज दोषी नाम के बिल्डर को कर्ज के तौर पर 10 लाख रुपये चेक से दिए थे। तभी डिवेलपर ने उन्हें पोस्ट डेटेड 1-1 लाख रुपये के 10 चेक दे दिए थे। लेकिन कर्ज अदा करने की तय तिथि बीत जाने के बाद भी बिल्डर ने रुपये वापस नहीं किए।

ब‍िल्‍डर के सभी चेक हुए थे बाउंस
जब वाघानी ने बिल्डर द्वारा दिए गए एक-एक लाख रुपये के 10 चेक बैंक में जमा किए, तो वे सभी बाउंस हो गए। मामले की गंभीरता को देखते हुए वाघानी ने चेक बाउंस होने के नियमों के तहत बोरीवली सेशंस कोर्ट-43 में बिल्डर के खिलाफ केस फाइल किया।

अदालत का फैसला
14 मई को मामले पर सुनवाई करते हुए मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट ने फैसला सुनाया कि बिल्डर शिकायतकर्ता को 8 लाख रुपये सहित 1 लाख रुपये का हर्जाना दे, साथ ही बिल्डर को 6 माह की जेल की भी सजा सुनाई। हालांकि बिल्डर ने अडिशनल मैजिस्ट्रेट कोर्ट के समक्ष इस फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की है।

डर से लौटाए दो लाख रुपये
जैस ही वाघानी ने मामला कोर्ट में दायर किया, तो बिल्डर ने फौरन उन्हें 2 लाख रुपये लौटा दिए और बाकी रुपयों की अदायगी के लिए कुछ दिनों की मोहलत मांगी। लेकिन फिर बिल्डर रुपये लौटाने में टालमटोल करने लगा। इसके बाद वाघानी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

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