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तीसरी पास ने खोज की चावल की 9 नई किस्म

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मुंबई
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बुधवार को जिस कृषि वैज्ञानिक दादाजी खोब्रागडे के परिवार से मिले, उनकी खोज को न्याय दिलाने का बीड़ा कांग्रेस ने उठाया है। तीसरी कक्षा पास खोब्रागडे ने धान (चावल) की 9 नई प्रजातियां इजाद की थीं, जिसे उन्होंने पेटेंट तक नहीं कराया। वह दूसरे किसानों को मुफ्त में बुआई के लिए अपनी इजाद की गई प्रजाति के चावल दिया करते थे।

जीवन के अंतिम दौर में उन्हें पैरालिसिस हो गया। इसी महीने उनका निधन हो गया, लेकिन उन्हें कोई सरकारी मदद नहीं मिली। चंद्रपुर के नांदेड़ गांव में रहने वाले 79 वर्षीय दादाजी खोब्रागडे बेहद ही गरीब किसान थे। उनके पास डेढ़ एकड़ जमीन थी। गरीबी के कारण ही उनकी पढ़ाई महज तीसरी तक ही हो सकी। उन्होंने अपना पूरा जीवन धान की नई प्रजातियां खोजने में लगा दिया। फोर्ब्स पत्रिका ने उनके और उनके द्वारा ईजाद धान की प्रजातियों के बारे में दुनियाभर को बताया।

कहते हैं दादाजी खोब्रागडे ने 80 के दशक में एमएचटी धान की नई किस्म ईजाद की थी, उसके बाद भी यह क्रम जारी रहा। आज एचएमची धान मध्य भारत के अनेक राज्यों में बोई जाता है। दादाजी को नई खोज का जुनून था। जीवन के अंतिम दिनों में वे पैरालिसिस से जूझ रहे थे। इसी महीने में महाराष्ट्र के शोधग्राम के अस्पताल उनका निधन हो गया।

परिवार से मिले
राहुल
दादाजी खोब्रागडे को अस्पताल में देखने के लिए सरकार का कोई मंत्री नहीं गया और न ही उनके अंतिम दाह संस्कार में शामिल हुआ। यहीं नहीं, उनके निधन के बाद भी भाजपा ने कोई सुधि नहीं ली। गौर करने की बात है कि इसी जिले से फडणवीस सरकार के दिग्गज वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार आते हैं।

गुरुवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी चंद्रपुर जिले के नांदेड गांव गए। वहां उन्होंने दादाजी के परिवार से सदस्यों से मिले और खोब्रागड़े को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर राहुल ने कहा कि वह सच्चे लोकसेवक थे। उनके निधन से खाली हुए स्थान को कभी भरा नहीं जा सकता।

कांग्रेस लड़ेगी लड़ाई
बुधवार को राहुल गांधी के साथ चंद्रपुर के नांदेड़ गए महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा कि एक तीसरी पास गरीब किसान ने अपने दम पर बिना किसी सरकारी मदद के धान की 9 किस्म ईजाद करता है। उसकी की गई धान से देशभर के किसान लाभांवित हो रहे हैं। उन्होंने दादाजी खोब्रागडे द्वारा ईजाद की गई धान की प्रजातियों को पेटेंट कराने की मांग सरकार से की है।

इसके अलावा, उनके गांव नांदेड़ में ही 100 एकड़ में धान शोध संस्थान बनाने, नए युवकों को शोध के लिए प्रेरित करने हुए दादाजी खोब्रागडे के नाम पर पुरस्कार देने तथा उनके दोनों लड़कों को सरकारी नौकरी देने की मांग राज्य की बीजेपी सरकार से की।

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