नई दिल्ली
राजा सिंह के सिर्फ नाम में ही राजा नहीं जुड़ा है। बीते 38 साल से वह अपनी जिंदगी एक राजा की तरह जी रहे हैं। 76 साल के 'ऑक्सफर्ड रिटर्न' रोजाना शिवाजी स्टेडियम के पास वीजा ऐप्लिकेशन सेंटर जाते हैं। वहां लोगों की फॉर्म भरने में मदद करते हैं। लोग इसके बदले उन्हें पैसे देते हैं। राजा सिंह उसी से लंच और डिनर का इंतजाम करते हैं।
दरअसल, बीते दिनों सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हुई थी। इसमें राजा सिंह के बारे में बताया गया। पोस्ट को लाखों लोगों ने शेयर किया। इसके बाद कुछ सिख ग्रुप्स एक्टिव हुए और उनसे मिलने पहुंचे। मुलाकात करने वालों में दमनदीप सिंह और मनप्रीत सिंह भी थे। उन्होंने राजा सिंह से साथ चलने को कहा, लेकिन वह नहीं राजी हुए। हालांकि रिक्वेस्ट के बाद दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी की राजेंद्र नगर में बनाई सराय में रहने की बात मान ली। इसके बाद भी उन्होंने अपनी काम जारी रखा है। राजा, रोज की तरह ऐप्लिकेशन सेंटर और फिर गुरुद्वारा जाते हैं।
1964 की बात है। राजा सिंह ने ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन किया। उन्हें वहीं नौकरी मिल गई। लेकिन कुछ टाइम बाद बड़े भाई ने बुला लिया। कहा दोनों मिलकर बिजनेस करेंगे। मुंबई में बिजनेस चलाया भी, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। परिवार में भी नहीं बनी। पत्नी दोनों बेटों को लेकर अलग हो गईं। बड़े भाई की मौत हो गई। 1970 में राजा सिंह दिल्ली आ गए। वीजा ऐप्लिकेशन सेंटर जाना और लोगों की मदद करना शुरू किया।
मदद के बदले मिले पैसों से राजा ने अपनी जिंदगी जी। सेंटर से वह सीधे गुरुद्वारे जाते। वहां कुछ वक्त बिताते। फिर रात को सोने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन चले जाते। सुबह तैयार होने के लिए राजा कनॉट प्लेस के एक पब्लिक टॉइलट में जाते थे। वहीं, पॉकेट साइज शीशे में देखकर पग बांधते थे। राजा कहते हैं, मैं अपनी लाइफ अपने उसूलों पर जीना चाहता हूं। रोज सुबह वैसे ही सेंटर जाता हूं। वहां से मिले पैसों से ही हिम्मत आती है। किसी की मदद लेकर अपना दिल नहीं तोड़ना चाहता। सराए में आकर काफी अच्छा लग रहा है।
राजा सिंह के सिर्फ नाम में ही राजा नहीं जुड़ा है। बीते 38 साल से वह अपनी जिंदगी एक राजा की तरह जी रहे हैं। 76 साल के 'ऑक्सफर्ड रिटर्न' रोजाना शिवाजी स्टेडियम के पास वीजा ऐप्लिकेशन सेंटर जाते हैं। वहां लोगों की फॉर्म भरने में मदद करते हैं। लोग इसके बदले उन्हें पैसे देते हैं। राजा सिंह उसी से लंच और डिनर का इंतजाम करते हैं।
दरअसल, बीते दिनों सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हुई थी। इसमें राजा सिंह के बारे में बताया गया। पोस्ट को लाखों लोगों ने शेयर किया। इसके बाद कुछ सिख ग्रुप्स एक्टिव हुए और उनसे मिलने पहुंचे। मुलाकात करने वालों में दमनदीप सिंह और मनप्रीत सिंह भी थे। उन्होंने राजा सिंह से साथ चलने को कहा, लेकिन वह नहीं राजी हुए। हालांकि रिक्वेस्ट के बाद दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी की राजेंद्र नगर में बनाई सराय में रहने की बात मान ली। इसके बाद भी उन्होंने अपनी काम जारी रखा है। राजा, रोज की तरह ऐप्लिकेशन सेंटर और फिर गुरुद्वारा जाते हैं।
1964 की बात है। राजा सिंह ने ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन किया। उन्हें वहीं नौकरी मिल गई। लेकिन कुछ टाइम बाद बड़े भाई ने बुला लिया। कहा दोनों मिलकर बिजनेस करेंगे। मुंबई में बिजनेस चलाया भी, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। परिवार में भी नहीं बनी। पत्नी दोनों बेटों को लेकर अलग हो गईं। बड़े भाई की मौत हो गई। 1970 में राजा सिंह दिल्ली आ गए। वीजा ऐप्लिकेशन सेंटर जाना और लोगों की मदद करना शुरू किया।
मदद के बदले मिले पैसों से राजा ने अपनी जिंदगी जी। सेंटर से वह सीधे गुरुद्वारे जाते। वहां कुछ वक्त बिताते। फिर रात को सोने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन चले जाते। सुबह तैयार होने के लिए राजा कनॉट प्लेस के एक पब्लिक टॉइलट में जाते थे। वहीं, पॉकेट साइज शीशे में देखकर पग बांधते थे। राजा कहते हैं, मैं अपनी लाइफ अपने उसूलों पर जीना चाहता हूं। रोज सुबह वैसे ही सेंटर जाता हूं। वहां से मिले पैसों से ही हिम्मत आती है। किसी की मदद लेकर अपना दिल नहीं तोड़ना चाहता। सराए में आकर काफी अच्छा लग रहा है।
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