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26/11 के 'अनफिट' हीरो का मैराथन में परचम

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संदीप राय, मेरठ
अगर इंसान में जज्बा हो वह मुश्किल से मुश्किल मंजिल भी हासिल कर ही लेता है। मुसीबतें लाख आएं, मगर वह अपनी मंजिल पाकर ही दम लेता है। कुछ ऐसी ही कर दिखाया मुंबई में 2008 में हुए आतंकी हमले के दौरान आतंकियों की गोली खाने वाले भारत के वीर सपूत प्रवीण तेवतिया ने।

ताज होटल में फेफड़े और कान में गोली लगने के बाद भी आतंकियों को ढेर करने वाले 32 वर्षीय शौर्य चक्र विजेता और पूर्व मरीन कमांडो तेवतिया 72 किलोमीटर का मैराथन में पदक जीत सबको चकित कर दिया। गोली लगने के बाद प्रवीण आंशिक तौर बधिर हो गए थे। इसके बाद नेवी ने उन्हें नॉन-ऐक्टिव ड्यूटी दे दी थी। तेवतिया ने खुद को नौसेना के लिए फिट साबित करने के उद्देश्य से मैराथनों में भाग लेना शुरू कर दिया।

9 सितंबर को प्रवीण ने लद्दाख में 71 किलोमीटर लंबे खारदुंग ला मैराथन में हिस्सा लिया। प्रवीण ने निर्धारित समय में इसे पूरा कर पदक हासिल किया। प्रवीण ने बताया, 'जब मुझे गोली लगी, तो डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी, लेकिन मैं 5 महीने तक संघर्ष करता रहा और ठीक हुआ। हालांकि मेरी सुनने की क्षमता जरूर प्रभावित हुई।' नौसेना के ऑर्डर 911 के तहत, युद्ध के मैदान में 5 फीसदी अपंगता सेवा में रहने के लिए मान्य होता है, लेकिन यूपी के बुलंदशहर के भतोला गांव के रहने वाले तेवतिया पेटी ऑफिसर पद से इस्तीफा दे दिया था।

तेवतिया को यह पता था कि अब वह फिर से कमांडो नहीं बन सकते, लेकिन वह डेस्क जॉब नहीं करना चाहते थे। इसके बाद उन्होंने नेवी पर्वतीय दल के लिए आवेदन किया, लेकिन उनका आवेदन मेडकिल आधार पर खारिज कर दिया गया। तेवतिया ने फिर खुद को फिट साबित करने का फैसला किया। ताज होटल कर्मचारियों की मदद से वह मैराथन धावक प्रवीण बाटीवाला से मिले। बाटीवाला ने प्रवीण को लंबी दूरी की दौड़ में शामिल होने के लिए हौसला अफजाई की। बाटीवाला ने कहा, 'मैं ऐसी मजबूत इच्छाशक्ति वाले कुछ लोगों से ही मिला हूं। खारदुंग ला मैराथन पूरी करना कोई बच्चों का खेल नहीं है। यहां ऑक्सिजन के लेवल काफी कम होता है और अगर किसी का फेफड़ा क्षतिग्रस्त हो तो, उसके लिए तो यह बेहद दुरूह कार्य है। प्रवीण का ऐसा करना बड़ी उपलब्धि है।'

प्रवीण ने 2014 में मैराथन की ट्रेनिंग शुरू की थी। मुंबई मैराथन में उन्होंने अगल नाम से हिस्सा लिया था, क्योंकि उन्हें यह पता नहीं था कि अगर वह असफल होंगे तो नौसेना इसपर कैसी प्रतिक्रिया देगी। 2016 में उन्होंने इंडियन नेवी हाफ मैराथन में भाग लिया ता।

प्रवीण ने बताया कि इस साल मार्च में उन्होंने जयपुर में एक मैराथन में हिस्सा लिया। इसमें उन्होंने 1.9 किलोमीटर की तैराकी, 90 किलोमीटर साइक्लिंग और 21 किलोमीटर दौड़ में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा, 'इसके बाद भी नेवी को मेरे फिटनेस पर यकीन नहीं हुआ। मैं मैराथन के लिए ज्यादा छुट्टियां नहीं ले सकता था। फिर मैंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। मुझे किसी को लेकर कोई गिला नहीं है। उन्होंने (नौसेना) किताब के अनुसार काम किया और मैं एक जूनियर रैंक का अधिकारी था, लेकिन मैं चाहता था कि हर कोई यह जाने कि मैं वही आदमी हूं जिसने ताज होटल में बतौर कमांडो हिस्सा लिया था। मैं खुद को भूलने नहीं देना चाहता था।'

31 जुलाई को उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। शनिवार को उन्होंने पदक पक्का किया। प्रवीण ने 18,380 फीट की ऊंचाई पर 12.5 घंटे में मैराथन पूरी कर पदक जीता। अब वह फुल इरोन मैन ट्राइथलॉन में हिस्सा लेना चाहते हैं।

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