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साथियों को बचाने 5 बार 'जहरीले' सीवर में कूदा!

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नई दिल्ली
दिल्ली के बड़े अस्पतालों में शामिल एलएनजेपी परिसर में सीवर की सफाई के दौरान एक सफाईकर्मी की मौत हो गई, जबकि तीन लोग जहरीली गैस की चपेट में आ गए। बिना सेफ्टी उपकरणों के सीवर की सफाई करने उतरे एक शख्स के अंदर बेहोश होने पर उसे बचाने उतरे बाकी दो लोग भी बेहोश हो गए थे, जिन्हें चौथे युवक सुमित ने बहादुरी से बाहर निकाला। अगर सुमित ने बहादुरी न दिखाई होती तो शायद दो जानें और चली गई होतीं।

सुमित अस्थाई सफाई कर्मचारी है। उसे भी सीवर में सफाई के लिए उतरना था। जहरीली गैस की चपेट में आए अपने तीन साथियों को देख कर वह अपनी जान पर खेलकर उन्हें बचाने उतर गया। सीवर में जहरीली गैस का असर इस कदर था कि सुमित को अपने साथियों को बाहर निकालने के लिए 6-7 बार मशक्कत करनी पड़ी। उसने तीनों को बाहर निकालकर अस्पताल में एडमिट कराया, जहां एक की मौत हो गई, लेकिन बाकी दो की जान बच गई। जहरीली गैस का असर सुमित पर भी हुआ है।

बहादुरी की मिसाल बने सुमित ने बताया कि तीन दिन पहले जेई ने कहा था कि अस्पताल परिसर में जो सीवर ब्लॉक हैं, उन्हें खोलना है। शनिवार को छोटी सीवर खोल दी थी। लेकिन बच्चा विभाग के पास बने छोटे सीवर में ब्लॉकेज की वजह से उसे भी खोलना था। सुमित का आरोप है कि कोई सेफ्टी उपकरण या मास्क उपलब्ध नहीं कराए गए थे। रविवार को जब सभी जमा हुए तो वह छोटे सीवर में करीब 15 फुट गहराई में उतरने के लिए सीढ़ी लेने गया। इसी दौरान ऋषिपाल रस्सी के सहारे नीचे उतर गए। उन्होंने जब गंदगी हटाई, तभी गैस के असर से बेहोश होकर गिर गए थे। उन्हें देखने बाकी दो नीचे उतरे, वे भी जहरीली गैस की चपेट में आ गए। सुमित ने बार-बार अंदर घुसकर उन्हें निकालने की कोशिश की। गैस का असर इतना तेज था कि उसे हर बार बाहर निकलना पड़ा। बाद में वह ऑक्सीजन मास्क लगाकर फंसे हुए लोगों को बाहर निकाल लाया।

सुमित ने बताया, 'जब मैं पहली बार सीवर में नीचे उतरा तो मेरा इतना दम घुट रहा था कि तुरंत ही बाहर निकल गया; मैंने फिर से हिम्मत जुटाई और नीचे उतरा लेकिन इस बार भी मेरी हिम्मत जवाब दे गई और मैं कुछ सेकंड्स में ही बाहर निकल आया। तीसरी बार मैंने दृढ़ संकल्प लिया कि इस बार कम से कम मैं अपने एक दोस्त को साथ लेकर ही बाहर निकलूंगा। ये मेरी जिंदगी के सबसे कठिन 3 घंटे थे। शब्दों में बयां नहीं कर सकता कि मैं और मेरे दोस्त किस भयावह अनुभव से होकर गुजरे।

सुमित ने बताया, मुझे पता था कि अंदर जाने पर मेरी भी जान जा सकती है लेकिन इसके बावजूद मैं एक-दो बार नहीं बल्कि कई बार सीवर में नीचे उतरा ताकि मैं वहां फंसे अपने साथियों की जान बचा सकूं। खुद की जान बचाना मेरी प्राथमिकता नहीं थी। ऋषिपाल और बिशन मेरे बड़े भाई की तरह थे और उन्होंने ही मुझे सारा काम सिखाया था। मैं एक कायर की तरह भाग नहीं सकता था। मैंने तय कर लिया था कि मैं उन्हें बाहर लाकर रहूंगा चाहे कुछ भी हो जाए।'

मेरे उतरने से पहले किरन सीवर में उतरा था, मैंने उससे कहा था कि वह नीचे से लगातार बात करता रहे और बाकी लोगों के बारे में भी बताता रहे। लेकिन कुछ देर बाद ही उसने जवाब देना बंद कर दिया। मुझे सीवर में हुई मौतों की जानकारी पहले से थी इसलिए मैं एक रस्सी लेकर अंदर गया ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत बाहर निकला जा सके।

रस्सी ले जाना फायदेमंद साबित हुआ क्योंकि सुमित कई बार सांस लेने बाहर निकला। हालांकि सुमित को इस बात का अफसोस है कि वह अपने एक दोस्त की जान नहीं बचा सका। वह कहते हैं कि मैं ऋषिपाल को बाहर निकाल पाता तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। मैं खुद को कभी माफ नहीं कर पाऊंगा।

सभी को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां सबसे पहले सीवर में घुसे शख्स को मृत घोषित कर दिया गया। बाकी दो की हालत गंभीर बनी हुई है। एक को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी मिल गई। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया है। आईपी एस्टेट थाने की पुलिस ने लापरवाही के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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