तिरुवनंतपुरम
महिलाओं को शारीरिक रूप से कमजोर समझने वालों को आइना दिखाते हुए केरल के एक गांव की 300 महिलाओं ने अपने दम पर कुएं खोद दिए। महिलाओं ने एक, दो या तीन नहीं 190 कुएं खोदे और लंबे समय से चल रही पानी की समस्या का हल खोज निकाला।
उम्रदराज महिलाएं भी बांस की सीढ़ियों की मदद से नीचे गड्ढे में उतरकर पानी की तलाश में कुदाल और फावड़े से खुदाई करती थीं।
केरल के पलक्कड़ जिले के एक गांव की इन महिलाओं न इस दौरान कितनी ही तकलीफों का सामाना किया लेकिन वे अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटीं। 35 से 70 साल की इन महिलाओं ने सूखे से जूझ रहे अपने गांव में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के तहत पिछले अगस्त से अब तक 190 कुएं खोद लिए हैं। इस गांव में केवल कुएं और छोटे तालाब ही पानी का जरिया हैं।
ट्रेंनिंग की कमी और शारीरिक सीमाएं भी इन महिलाओं की राह का रोड़ा नहीं बन सकी। महिलाओं ने चट्टानी जमीन में 10-12 मीटर गहरे कुएं बिना किसी मशीन की मदद से खोदकर एक नई मिसाल कायम की।
महिलाओं को शारीरिक रूप से कमजोर समझने वालों को आइना दिखाते हुए केरल के एक गांव की 300 महिलाओं ने अपने दम पर कुएं खोद दिए। महिलाओं ने एक, दो या तीन नहीं 190 कुएं खोदे और लंबे समय से चल रही पानी की समस्या का हल खोज निकाला।
उम्रदराज महिलाएं भी बांस की सीढ़ियों की मदद से नीचे गड्ढे में उतरकर पानी की तलाश में कुदाल और फावड़े से खुदाई करती थीं।
केरल के पलक्कड़ जिले के एक गांव की इन महिलाओं न इस दौरान कितनी ही तकलीफों का सामाना किया लेकिन वे अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटीं। 35 से 70 साल की इन महिलाओं ने सूखे से जूझ रहे अपने गांव में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के तहत पिछले अगस्त से अब तक 190 कुएं खोद लिए हैं। इस गांव में केवल कुएं और छोटे तालाब ही पानी का जरिया हैं।
ट्रेंनिंग की कमी और शारीरिक सीमाएं भी इन महिलाओं की राह का रोड़ा नहीं बन सकी। महिलाओं ने चट्टानी जमीन में 10-12 मीटर गहरे कुएं बिना किसी मशीन की मदद से खोदकर एक नई मिसाल कायम की।
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